एकल धुर्वीयता
1991 में सोवियत संघ के विघटन के बाद अमेरिका ही सबसे बड़ी महाशक्ति बनकर दुनिया के सामने उभरा। सोवियत संघ के विघटन के बाद अमेरिका ही एकमात्र सबसे बड़ी महा शक्ति था जो की आगे चलकर अपना वर्चस्व फैलाने में सफल रहा अमेरिका के इस भड़ते वर्चस्व व शक्ति के कारण विश्व एकल धुर्वीय बनके रह गया जिसे एक धुर्वीयता का दौर कहा गया। अर्थात 1995 में अमेरिकी वर्चस्व ने अपनी गति पकड़ ली । क्युकी सोवियत संघ अब सम्पूर्ण रूप से समाप्त हो गया था ,अन्यथा 1945 अर्थात शीट युद्ध के दौर में अमेरिकी वर्चस्व अंतराष्ट्रीय पटल पर आधारित था। विभ्भिन क्षेत्रो में अमेरिकी वर्चस्व को आराम से देखा जा सकता हैं जो की कुछ इस प्रकार है।
1. ओप्रेशन डेजर्ट स्ट्रोम
1990 में कुवैत पर इराक द्वारा हमला कर दिया और उसपर कब्ज़ा कर लिया। सर्वप्रथम UNO ने इराक को समझने बुझाने की कोशिश की परन्तु कुवैत के न मानने पर सयुंक्त राष्ट्रीय संघ ने कुवैत को छुड़ाने हेतु बल प्रयोग (युद्ध ) की अनुमति दे दी। UNO के इसी अभियान को ऑपरेशन डेज़र्ट स्ट्रोम कहा जाता है।
अमेरिका के एक जनरल नार्मन श्वार्ज़कोव इस युद्ध के प्रमुख थे । वैसे तो इस युद्ध में 34 देशो की सेना मौजूद थी पर सेना का 75 प्रतिशत हिस्सा केवल अमेरिकी सैनिको से परिपूर्ण था। ईराक के राष्ट्रीयपति सद्दाम हुसैन का एलान था की यह 100 लड़ाई की एक लड़ाई साबित होगी पर इराक ने जल्दी ही घुटने टेक दिए और कुवैत को आजाद कर दिया।
2. कंप्यूटर युद्ध
अगर हम खाड़ी युद्ध की बात करे तो उस दौरान अमेरिका का सैन्य बल सर्वाधिक था। तकनिकी व प्रौद्योगिकी क्षेत्र में भी अमेरिका अन्य देशो को पछाड़ता चला गया। अमेरिका ने इस युद्ध में विज्ञापनी तौर से स्मार्ट बॉम का प्रयोग किया जिसके कारण ही कुछ पर्येवेक्षको ने इसे कंप्यूटर युद्ध की उपाधि दी। अमेरिका ने इस युद्ध का टीवी पर भी बहुत ही बड़े स्तर पर प्रदर्शन किया जिसके कारण इस विडिओ गेम युद्ध भी कहा गया।
खाड़ी युद्ध के बाद अमेरिका के तत्कारीन राष्ट्रीयपति जॉर्ज बुश डेमोक्रेटिक पार्टी के नेता जेफरसन (बिल) क्लिंटन से 1992 में चुनाव हर गए। क्लिंटन ने अमेरिका की विदेश निति को घरेलू सीमाओं तक ही सिमित रखा।
- क्लिंटन के शासन काल में अमेरिका की विदेश निति :
- क्लिंटन ने विदेश निति को घरेलु सीमा तक ही सिमित रखा।
- क्लिंटन ने जलवायु - प्रदुषण जैसे मुद्दों के लिए कार्य किया।
- वे युद्ध - हथियार निर्माण जैसे शासन पर ध्यान केंद्रित न करके लोकतंत्र को बढ़ावा देने योगय निति का निर्माण किया।
- उन्होंने व्यापार सूधार जैसे नरम मुद्दों को चरम पर रखा।
नाईन इलेवन
9-11 की घटना अमेरिका के इतिहास में एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। (ये घटना 9 सितम्बर को हुई चूँकि अमेरिकी केलिन्डर में महीना तिथि से पहले आता थे इसी लिए इसे 9-11 की घटना कहा जाता हैं ) 9 सितम्बर को विभ्भिन अरबी अपहरणकर्ताओं ने अमेरिका के चार विमानों पर उड़ान के कुछ समय बाद ही कब्जा कर लिया और उन्हें अमेरिका के विभ्भिन महत्वपूर्ण इमारतों से टकराया गया। दो विमान अमेरिका के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर के उत्तरी और दक्षिणी टावर से टकराये जो न्यूयोर्क में स्थित था। 1 विमान वर्जीनिया के अर्लिंगटन में स्थित पेंटागन से टकराये। पेंटागन में अमेरिका के सुरक्षा मंत्रालय का मुख्यालय है। चौथा विमान पेंसिलवानिया के खेतो में जाकर गिरा वास्तव में उसे पेंसिलवानिया में स्थित अमेरिकी कांग्रेस की मुख्य ईमारत से टकराना था। इस घटना के बाद अमेरिका ने देश के विभ्भिन भागो से अपराधिओं को कैद करना शुरू कर दिया। जिन भी कैदिओ को कैद किया गया उन्हें किसी एक स्थान पर नहीं रखा गया अपितु अलग अलग देश में ख़ुफ़िया जेल में रखा गया। उन कैदिओ को कोई भी अंतराष्ट्रीय कानून की सुरक्षा, नाही उन्हें अपने देश की कानून सुरक्षा तथा अमेरिका की भी कानून सुरक्षा प्राप्त नहीं हैं । उन्हें इस कदर कैदी बनाके रखा गया हैं की UNO के महासचिव को भी उससे मिलने की अनुमति नहीं हैं। कुवैत के निकट स्थित अमेरिकी नौसेना के ठिकाना गंवातनामो बे में उन केदियो को ख़ुफ़िया तौर से रखा गया है।
9-11 की घटना के कई परिणाम सामने आये जोकि इस प्रकार हैं:
- 9-11 की घटना ने पुरे विश्व को हिला डाला और अमेरिका के लिए ये एक दिल दहला देने वाली घटना थी।
- इस हमले में मरे जाने वाले व्यक्तियों की संख्या 30000 थी।
- अमेरिका द्वारा फ़ौरन कार्येवहि की गई और इसके खिलाफ कदम उठाये गए।
- अमेरिका ने एक युद्ध करवाया "आतंकवाद के खिलाफ विश्वव्यापी युद्ध " जिसे "ऑपरेशन एंडयूरिम फ्रीडम" नाम दीया गया।
- ये युद्ध उनके खिलाफ चला जिनको 9-11 घटना के लिए शक के दायरे में रखा गया इनमे अलकायदा और अफगानिस्तान के तालिबान-शासन मुख्य थे।
ओप्रशन इराकी फ्रीडम
19 मार्च 2003 में अमेरिका ने इराक पर हमला कर दिया। अमेरिका ने ये हमला UNO की की अनुमति के बिना किया। इस युद्ध में 40 देश शामिल थे। चूँकि इसमें UNO की अनुमति नहीं थी पर फिर भी इस युद्ध को किया गया इसका कारन ये था की अमेरिका ने अन्य देशो को ये बताया की ये युद्ध सामूहिक संहार हथियार बनाने के खिलाफ इराक से किया जा रहा हैं। परन्तु वास्तविक तौर पर ये इराक में सामूहिक संहार वाले कोई भी हथियार नहीं मिले और इसका निष्कर्ष ये निकला गया की वास्तव में अमेरिका ने ये युद्ध इराक के तेल के कुओं पर कब्जे के लिए किया गया।
ऑपरेशन इराकी फ्रीडम के राजनैतिक और सैन्य प्रभाव :
- अमेरिका वास्तव में इराक को शांत करने में असफल रहा।
- इराक में अमेरिका के खिलाफ एक पूर्ण वियापी युद्ध छिड़ गया।
- इस युद्ध में अमेरिका के 3000 सैनिक मरे गए जबकि इराक के सेनिको की मृत्यु दर इससे कई अधिक थी
- एक अनुमान के अनुसार इराक के 50000 नागरिको की मृत्यु हो गई।
- इसका परिणाम ये भी निकला गया की अमेरिका का इराक पर ये हमला सैन्य और राजनितिक धरातल पर था जो की वास्तव में असफल सिद्ध हुआ।
अमेरिकी वर्चस्व
वर्चस्व शब्द की उत्पत्ति-हेगेमनी (HEGEMONY) जिसका अर्थ हैं अंतराष्ट्रीय व्यवस्था में ताकत का एक ही केंद्र। अब हम अमेरिकी वर्चस्व की बात करते हैं , अमेरिकी वर्चस्व के विभ्भिन रूप इस प्रकार हैं :
i) अमेरिका का सैन्य वर्चस्व
- अमेरिका का सैन्य बल बहु ही अधिक हैं अगर हम बात करे अमेरिका के परमाणु हथियार की तो अमेरिका के पास कई ऐसे अचूक परमाणु हथियार हैं जो की कभी भी किसी भी देश को बहुत सरलता से नुक्सान पंहुचा सकते हैं।
- अमेरिका का सैन्य खर्च विश्व के 12 बड़े देशो के सैन्य खर्च से भी अधिक हैं। 12 देशो द्वारा किये जाने वाला सैन्य व्यय 449.4 अरब डालर हैं वही अमेरिका का सैन्य व्यय 455.5 अरब डॉलर हैं।
- अमेरिका के पास विश्व में सबसे अधिक परमाणु हथियार हैं जिनकी तकनीकी गुणवत्ता बहुत उच्चतम हैं।
- अमेरिका की शक्ति का अनुमान 2003 में इराक पर किये गए आक्रमण से भी लगाया जा सकता है की अमेरिका UNO से भी अधिक शक्तिशाली हैं।
- अमेरिका की सेना विश्व के सभी समुन्द्रो में स्थित हैं जिसका अर्थ हैं की अमेरका कभी भी किसी भी देश पर आक्रमण कर सकता है।
ii) अमेरिका का आर्थिक वर्चस्व
- अमेरिका की GDP विश्व सबसे अधिक हैं।
- समुंद्री व्यापार मार्ग (सी लाइन ऑफ़ कम्युनिकेशन) : अमेरिका समुंद्री व्यापारिक मार्गो के नियमो को तय करता हैं।
- अमेरिका ने इंटरनेट का आविष्कार किया हैं जो की आधुनिक समय में व्यापार और संचार के लिए बहुत अधिक महत्वपूर्ण हैं।
- दिनिया के GDP वित्तीय वर्ष में उत्पादित वास्तु व सेवाओं का मौद्रिक मुल्ये में अमेरिका की हिस्सेदारी 28 प्रतिशत हैं।
- MBA की शिक्षा भी अमेरिका के ढांचागत वर्चस्व को प्रदर्शित करती हैं https://politicalstudyhub.blogspot.com/
iii) अमेरिका की संस्कृत वर्चस्व
- सांस्कृतिक वर्चस्व के आशय उस देश के नागरिको रहन-सहन , कपडे पहनने , बोलने , विचार विमर्श आदि के तौर से होता हैं। अमेरिका अपने सैन्य , ढांचागत वर्चस्व के साथ साथ सांस्कृतिक वर्चस्व भी स्थापित कर रहा हैं। जो की कुछ इस प्रकार हैं :
- शीत युद्ध के दौरान बेशक से सोवियत संघ अमेरिका के विरुद्ध था परन्तु वह के नागरिक भी अमेरिका की नीली जीन्स से बहुत प्रभावित थे।
- भारत के युवा वर्ग जो शिक्षित हैं वो अमेरिका में जाकर बसना चाहते हैं क्युकी उन्हें वह उनका भविष्ये उज्जवल नज़र आता हैं।
- अमेरिका की फिल्मो और तरयोहारो का प्रदर्शन अमेरिका को महान दिखता हैं।
- लोग अमेरिकी संस्कृति को अपनाते क्युकी उन्हें वे ज्यादा सभ्य लगती हैं।
- अमेरिका सांस्कृतिक वर्चस्व और भी अधिक शक्तिशाली हो गया जबसे अंग्रेजी भाषा का चलन हुआ हैं।
अमेरिका के वर्चस्व में अवरोधक
- अमेरिकी शासन की ढांचागत बनावट : अमेरिका के शासन के तीन अंगो में अमेरिकी शासन के तीन अंगो के बीच शक्तियों का बटवारा बराबर रूप से हो रखा हैं जो की अमेरिका के सैनिक शक्तियों को बेलगाम होने से रोकती हैं।
- अमेरिका की जनता : अमेरिका की जनता बहुत अधिक जागरूक और सचेत हे तथा वह की संचार तकनीक भी बहुत अधिक उन्नत हैं जो की अमेरिका के वर्चस्व में अवरोधक के रूप मैं प्रकट होती हैं।
- नाटो : अमेरिका की शक्ति का केंद्र नाटो हैं। यदि अमेरिका अपनी शक्तियों का बहुत अधिक मात्रा में गलत उपयोग करता हैं तो अमेरिका नाटो से मिलने वाले समर्थन को खो देगा जो की अमेरिका कभी नहीं चाहेगा अर्थात अमेरिका के बेलगाम वर्चस्व में अमेरिका द्वारा निर्मित नाटो संगठन भी सम्मिलित हैं।
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