दो धुर्वीयता का अंत

दो धुर्वीयता का अंत | end of bipolerity | politicul science notes

सोवियत संघ का विघटन 

बर्लिंग के दिवार जो की वर्ष 1961 में बानी थी शीत युद्ध की प्रतीक मानी जाती थी परन्तु 9 नवम्बर 1989 में इस दीवार को बर्लिंग की जनता द्वारा गिरा दिया गय। ये दिवार पूंजीवादी और साम्यवादी विचारधरा के मध्ये संघर्ष का प्रतिक थी।  दिवार के गिराए जाने का परिणाम ये हुआ की 25 दिसम्बर 1991 में सोवियत संघ का विघटन हुआ।  विघटन के कारण ही कई बड़े देशो ने अपने आप को सोवियत संघ से अलग कर स्वयं को स्वतन्त्र घोषित कर दिया। 

सोवियत संघ से स्वयं को अलग करने वाला पहला देश लिथुआना था जिसने मार्च  1990 में स्वयं को स्वतंत्र घोषित कर दिया। 

वही जून 1990 में रूस ने भी खुद को स्वतंत्र घोषित कर दिया , जून 1991 में येल्तसिन ने सोवियद संघ की कम्युनिस्ट पार्टी से इस्तीफा दे दिया और रूस का राष्ट्रियपति बना। 

25 दिसम्बर 1991 में गुरवाचैव द्वारा सोवियत के राष्ट्रीय पद से इस्तीफा लिया गया और इसकी के चलते 1917 में रूस बोल्शेविक क्रांति के बाद अस्तित्व में आया सोवियत संघ सम्पूर्ण रूप से विघटित हो गया। 

इस उत्तर को जाने से पहले की सोवियत संघ के विघटन के कारण क्या थे ? हमे सोवियत प्रणाली के बारे में थोड़ा और कुछ भी जान लेना चाहिये। 

सोवियत संघ की राजनीतिकी प्रणाली :

1) सोवियत संघ में केवल एक ही पार्टी का वर्चस्व था उसके समक्ष में कोई भी दल नहीं था। 
2) कम्युनिष्ट पार्टी साम्यवादी विचारधारा पर आधारित थी  जिसके फलस्वरूप वहां  पर समाज संतुलन बना हुआ था। 
3) इस प्रणाली के तहत वहां  के निवासियों को न्यूनतम जीवन स्तर की सुविधा प्रदान थी। 
4) शीत युद्ध के तहत दो महाशक्तियां सामने आयी एक अमेरिका जिसे पहली दुनिया व सोवियत संघ को दूसरी दुनिया कहा जाता थ। 

सोवियत संघ की आर्थिक प्रणाली :

1) सोवियत अर्थव्यवथा समाजवादी विचारधारा से प्रभावित थी जिसके कारण यहाँ की अर्थव्यवस्था नियोजित और न्यूनतम स्तर पर आधारित थी। 
2) यहाँ का बेरोजगारी स्तर बहुत ही कम था। 
3) सोवियत को संचार प्रणाली बहुत अधिक उत्तम थी। 
4) मलकियत की प्रमुखता राज्ये के पास होने के कारण ही वहां  की भूमि पर संसाधन पर अधिकार व नियंत्रण भी राज्ये का था। 
5) उत्पादन के साधनो पर भी राज्ये का नियंत्रण होने के कारण यहाँ का उपभोक्ता- उद्योग भी इतना प्रबल था की एक सुई से लेकर कार भी सोवियत संघ के अंदर ही बनाई जाती थे। 
6) सोवियत संघ के पास ऊर्जा के संसाधन भी प्रचूर मात्रा में थे, खनिज, तेल , लोहा और मशीनरी इनमे से अधिक प्रमुख थे। 

सोवियत संघ का विभाजन 

जैसा की हम सब जानते हे की 1991 में सोवियत संघ का विभाजन व अंत हो गया था अब प्रश्न ये उठता हैं की दूसरी दुनिया का विघटन हुआ कैसे, तो इसके  कुछ मुख्य कारण निम्नलिखित है:
1) कम्युनिष्ट पार्टी : सोवियत संघ में केवल एक ही पार्टी कम्युनिस्ट पार्टी का दबदबा था जिसका कोई भिओ प्रतिद्विंधीनहीं बन सकता थ।  कम्युनिष्ट पार्टी द्वारा किये जाने वाले निर्णय अब जनता के हिट में नहीं थे जिसके कारण जनता में आक्रोश भर गया और कम्युनिष्ट पार्टी जनता के समक्ष जवाबदेह नहीं रही। 
2) जनता की अपूर्ण इच्छा : अब सोवियत संघ जनता की आकांक्षाओं को पूर्ण करने के सक्षम नहीं रहा था जिससे जनता और आक्रोशित हो गई। 
3) सोवियत संघ की प्रणाली नौकरशाही थी। 
4) हथियारों की अंधी होड़ : सोवियत संघ में उत्पादित अधिकतम संसाधनों का उपयोग केवल परमाणु हथियारों को बनाने में किया जाने लगा। 
5) अर्थवयव्था का पिछड़ना ; हथियारों की होड़ में सोवियत संघ इतना अधिक हथियारों का उत्पादन करने लगा की अन्य क्षेत्रो (प्रोद्योगीकी और बुनियादी ढांचा) से अर्थव्यवथा पिछड़ गई जिसका पता सोवियत की जनता को बोहोत बाद में जाकर लगा। 
6) मिखाइल गौरवाचेव की नीतिया : मिखाइल गौरवाचेव ने तो सुधर हेतु सही नीतियों को अपनाया परन्तु पार्टी के लोगो को लगा की वे बोहत जल्दबाजी कर रहे हे और जनता को सुधर की गति धीमी लगी जिसके चलते उन्होंने दोनों ही और से अपने मत गवा दिए।
7) अर्थयवस्था इस कदर गतिरोध हुई की देश में उपभोक्ता वस्तुओ की बहुत तेजी से व बहुत अधिक मात्रा में कमी आ गई। 
8) अब जनता में राष्रीयवादी व क्रांतिकारी भावनाओ का भी उभर आ रहा था जिसके कारण भी सोवियत संघ का विघटन बहुत तेजी से हुआ। 

मिखाइल गौरवाचैव की भूमिका | DO DHURVIYATA KA ANT | POLITICAL SCINCE NOTES IN HINDI


उपरोक्त सभी कारण मुख्य कारण रहे सोवियत संघ के विघटन में जिसमे से कम्युनिस्ट पार्टी एक प्रमुख कारण थी।  अगर हम कमुनिस्ट पार्टी की बात करे तो कम्युनिस्ट पार्टी में बोहोत सी कमी थी की निम्नलिखित हैं :

1) कम्युनिष्ट पार्टी के चलते सोवियत अर्थव्यवस्था गतिरोध हो गई। 
2) कमुनियस्ट पार्टी में भरष्टाचार बहुत अधिक था साथ ही ये पार्टी स्वयं में सुधर भी नहीं ला पाई। 
3) कम्युनिष्ट पार्टी इतने बड़े संघ में केवल एक ही केंद्रीकृत सत्ता का निर्वहन कर रही थी जो की ये सुनिश्चित कर चूका था की सोवियत संघ का एक न एक दिन विघटन जरूर होगा। 
4) सत्ता का जनाधार भी खिसकना शुरू हो चूका था जिसका मुख्य कारण ये था की पार्टी के सदस्यों को जनता से अधिक अधिकार प्राप्त थे। 

सोवियत संघ के विघटन के परिणाम :

राष्ट्रीयता और सम्प्रभुता के भावो की कमी ही सोवियत संघ के विघटन का मुख्य कारण बानी जिसका आभास अभिकतम रूस , उक्रेन जैसे देशो ने किय।  अब प्रश्न ये उठता हे की सोवियत संघ के विघटन के क्या परिणाम हुए ? सोवियत संघ के विघटन के परिणाम निम्नलिखित हे :
1) जैसे जी सोवियत संघ का विघटन हुआ इसका एक परिणाम ये हुआ की शीत युद्ध पूर्ण रूप से समाप्त हो गय। 
2) कई वर्षो से दोनों महाशक्तियों के मध्ये चल रही हतियारो की होड़ समाप्त हो गई। 
3) अब विश्व दो धुर्वीय न होक एक धुर्वीय ही रह गया। 
4) सोवियत संघ के विघटन से १५ नए राष्ट्रीय का उदय हुआ। 
5) रूस सोवियत संघ का उत्तराधिकारी बना। 
6) शक्ति सम्बन्ध में बदलाव आये। 
7) पूंजीवादी विचारधारा का वर्चस्व फैला और समाजवादी विचारधारा पर प्रश्नचिन्ह लगा दिया गया। 

सोवियत संघ के सुधार हेतु मिखाइल गौरवाचैव की भूमिका:

1)  सुचना और प्रौद्योगिकी में सुधार ताकि पश्चिमी देशो की बराबरी की जा सक। 
2) सोवियत संघ में लोकतंत्रीकरण लाने की पहल। 
3)  लोकतंत्रीकरण के कारण अब जनता सोवियत संघ की पुरानी रंगत वाली राजनीति में जेना नहीं चाहती थी। 
4) गौरवाचैव अब हथियारों की होड़ पर विराम चिन्ह लगाना चाहत थे। 
5) सोवियत संघ विघटित हुआ परन्तु उसका आर्थिक विकास आगे चलके काफी तेजी से हुआ। 
6) जर्मनी में एकीकरण 
7) अफगानिस्तान और  पूर्वी यूरोप में जो सेना भेजी गई उन्हें वापस बुला लिया गया। 


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